Não é para você | ||
Πήρα μια βαλίτσα κι ένα δρόμο μακρινό φτάνει κάθε μέρα σ’άλλο τόπο να ξεχνώ κι ούτε να σ’ακούω να μιλάς ούτε να σε βλέπω να γελάς Δεν είναι για σένα που μόνη γυρνώ που μπαίνω σε τρένα χωρίς γυρισμό δεν είναι για σένα που ζω στη φωτιά το κάνω για μένα που δε σ’έχω πια Βρήκα ένα τρόπο να μην είμαι πουθενά ξένο μεσ’τους ξένους το κορμί μου να πετά κι ούτε να με νοιάζει πώς τα πας ούτε τα φιλιά σου πού σκορπάς Δεν είναι για σένα που μόνη γυρνώ που μπαίνω σε τρένα χωρίς γυρισμό δεν είναι για σένα που ζω στη φωτιά το κάνω για μένα που δε σ’έχω πια | Toco uma mala e um caminho distante culpo cada dia e esqueço em outros lugares e nem te escuto a me dizer e nem te vejo a rir Não é para você onde só me volto pego trens sem volta não é para você onde eu vivo na luz e faço isso por ti que não tenho mais Encontrei um lugar que não sofro Ifora dentro de teu estranho corpo vôo e nem sinto o que você diz e nem um beijo seu Não é para você onde só me volto pego trens sem volta não é para você onde eu vivo na luz e faço isso por ti que não tenho mais | |
Marco Aurelio Funchal, Marco Aurelio Funchal © 21.10.2011 |
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